जीवित्पुत्रिका व्रत – कैसे करें और क्या मिलता है?

अगर आप सुनते‑सुनते थक गए हैं कि व्रत में क्या करना चाहिए, तो यह लेख आपके लिए है। हम जीवित्पुत्रिका व्रत की पूरी प्रक्रिया को आसान भाषा में बताएंगे, ताकि आप बिना झंझट के पूजा कर सकें।

व्रत के मुख्य चरण

पहला कदम है सुबह जल्दी उठना। उबाले पानी से मुंह धोएँ और फिर तुलसी या दालचीनी की धूप में हाथ‑पैर साफ़ करें। इसे ‘स्नान’ कहा जाता है, पर यहाँ केवल हल्का स्नान चाहिए।

उसके बाद कच्चे नारियल या चंदन का छोटा टुकड़ा लेकर थाली में रखें। इस ‘पात्र’ में आप 2‑3 कप पानी भरें और थोड़ा शहद डालें। फिर इस घोल को शाम के समय तक रख दें। यह ऊर्जा का स्रोत बनता है और पूजा में काम आता है।

दोपहर में जब तक आप काम या पढ़ाई कर रहे हों, दो बार हल्का नाश्ता रखें – फल या खजूर ठीक रहेगा। व्रत में कड़वा या तेज़ मसालेदार चीज़ें नहीं लेनी चाहिए।

शाम को घर के अभयारण्य (कुंड) में जल की पिचकारी रखें। इस पानी में आप पुदीना, तुलसी और थोड़ा नमक डाल सकते हैं। यह शुद्धिकरण का काम करता है। फिर इस पिचकारी में से थोड़ा पानी लेकर आँखें धोएँ – यह शांति देता है।

पूरे दिन में एक बार ‘सरसों के तेल’ से स्नान करके आप अपनी ऊर्जा को संतुलित रखेंगे। इस स्नान के बाद सादा कपड़े पहनें और खुद को आराम दें।

व्रत के लाभ और सावधानियाँ

जीवित्पुत्रिका व्रत का सबसे बड़ा लाभ है मन की शांति। जब आप नियमित रूप से इस व्रत को रखते हैं, तो तनाव कम हो जाता है और सोचना साफ़ होता है। साथ ही, शरीर में पाचन शक्ति बढ़ती है क्योंकि आप हल्का आहार लेते हैं।

ध्यान रखें कि अगर आप गर्भवती हैं, डायबिटीज़ या कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लिये बिना व्रत ना रखें। यह व्रत हल्का है, पर फिर भी शरीर को पर्याप्त पोषक तत्व चाहिए।

व्रत के दिन जल्दी सोना भी ज़रूरी है। नींद पूरी न होने पर अगले दिन थकान और चिड़चिड़ापन हो सकता है। इसलिए, शाम को हल्का सूप या मौसमी फल खाना सबसे अच्छा रहेगा।

एक और बात: व्रत के दौरान ‘हरि’ या ‘गणेश’ की पूजा करना प्रभावशाली माना जाता है। आप छोटी मूर्तियों या तुकरियों में जल, फूल और मोती रखकर आशीर्वाद माँग सकते हैं। इस सरल रिवाज से आपके मन को और मजबूती मिलेगी।

अंत में, याद रखें कि व्रत का सचाँस ‘आत्मा’ को पवित्र करना है, न कि कठोर नियमों को तोड़ना। अगर कभी खामोशी में रहकर आप अपना मन साफ़ कर लें, तो यह व्रत आपके लिए लभकारी बन जाएगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा: बच्चों की सलामती के लिए माताओं का निर्जला संकल्प, 18 सितंबर 2025 को कब और कैसे

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  • सित॰, 15 2025

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